आकाश नीला क्यों दिखाई देता है
आकाश हमें नीला इसलिए दिखाई देता है क्योंकि सूर्य की किरणें जब पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं, तो वे गैसों और कणों से टकराती हैं और बिखर जाती हैं। यह प्रक्रिया रैले स्कैटरिंग (Rayleigh Scattering) कहलाती है।
1. प्रकाश का वर्णक्रम और रैले स्कैटरिंग
सूर्य का प्रकाश सफेद होता है, जिसमें सात रंग होते हैं — बैंगनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, और लाल। इन रंगों की तरंग दैर्ध्य (wavelength) अलग-अलग होती है, जिससे उनका बिखराव अलग-अलग तरीके से होता है। नीले रंग की तरंग दैर्ध्य छोटी होती है, जो लगभग 450 नैनोमीटर होती है, और यह वायुमंडल में सबसे ज्यादा बिखरती है। रैले स्कैटरिंग में, छोटी तरंग दैर्ध्य वाले रंग (जैसे नीला और बैंगनी) अधिक बिखरते हैं, जबकि बड़ी तरंग दैर्ध्य वाले रंग (जैसे लाल और नारंगी) कम बिखरते हैं।
2. नीला क्यों दिखता है, बैंगनी क्यों नहीं?
नीला और बैंगनी दोनों ही रंग अधिक बिखरते हैं, लेकिन हम आकाश को नीला देखते हैं क्योंकि हमारी आँखें नीले रंग के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। इसके अलावा, सूर्य के प्रकाश में नीला रंग अधिक होता है, जबकि बैंगनी रंग की मात्रा कम होती है। इसलिए, आकाश हमें नीला दिखाई देता है।
3. वायुमंडल का प्रभाव
पृथ्वी का वायुमंडल गैसों और छोटे-छोटे कणों से भरा है, जैसे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, और धूल के कण। जब सूर्य की किरणें इन कणों से टकराती हैं, तो नीले रंग की किरणें अधिक बिखर जाती हैं और पूरे आकाश में फैल जाती हैं। यही कारण है कि हम हर दिशा में देखने पर आकाश को नीला ही देखते हैं।
4. सूर्यास्त और सूर्योदय के समय आकाश का रंग बदलना
सुबह और शाम के समय, जब सूर्य क्षितिज के पास होता है, तो उसकी किरणों को वायुमंडल में लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इस दौरान, नीली और हरी किरणें अधिक बिखर जाती हैं और हमें तक नहीं पहुँचतीं। इसके बजाय, लाल और नारंगी रंग की किरणें कम बिखरने के कारण हम तक पहुँचती हैं, जिससे आकाश का रंग उस समय लाल या नारंगी दिखाई देता है।
5. अन्य ग्रहों पर आकाश का रंग अलग होना
पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर वायुमंडल की संरचना अलग होती है, इसलिए वहाँ का आकाश हमें अलग रंग में दिखाई दे सकता है। जैसे कि मंगल ग्रह पर वायुमंडल में अधिक धूल और कार्बन डाइऑक्साइड होती है, इसलिए वहाँ का आकाश हल्के नारंगी या गुलाबी रंग में दिखाई देता है।